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दीपोत्सव... कवी प्रविण म्हात्रे


 दीपोत्सव 


सोनियाचे   पावलांनी 

दीपोत्सव   ऐसा   येई

दूर    सारुनी    अंधार 

लख्ख  प्रकाश तो देई 


नाना आकाश कंदील 

दिव्यांचीच    रोषणाई

साफ   सफाईने  सारे 

घर     मंगल   ते  होई 


पर्ण  फुलांच्या तोरणे

द्वार  खुलुनिया    येई

दारापुढे  ती  रांगोळी

फार छान  शोभा देई 


फराळाचा मोठा घाट 

घराघरामध्ये      होई 

सानथोर साऱ्यांचीच 

मग    चंगळच   होई


दीपोत्सवामध्ये  छान

सणामागे  सण   येई

असे  प्रत्येक सणाची 

वेगळीच      अपूर्वाई 


पाहुण्यांच्या  वर्दळीने

घर   भरूनिया   जाई 

होता आप्त गाठीभेटी

मन   तृप्त  होत  जाई 


दृश्य  प्रकाशाच्यासवे

मन   उजळत    जाई

प्रेम   भावनेचा   दिवा 

उरी   प्रज्वलित   होई  


असा छान दीपोत्सव 

शरदात    सदा    येई 

सान  थोर  सकलांना

सुख   देवुनिया  जाई


श्री. प्रविण शांताराम म्हात्रे .

(पनवेल )

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